अक्सर रोने की सामान्य प्रक्रिया को लोगों ने स्त्रीत्व की निशानी बना दिया है और अक्सर एक डायलॉग हमें सुनाई देता है क्या औरतों की तरह रोता है पुरुष व्यक्तित्व के साथ यहीं से खिलवाड़ शुरू हो जाता जब बचपन में उससे रोने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अधिकार छीन लिया जाता है […]
संस्कार और आधुनिकता: महिलाओं की पहचान को नया रूप दें
अक्सर महिलाओं से बात की जाय तो इसकी शुरुआत उनकी शारीरिक समस्याओं या गंभीर बीमारियों की बातों को प्रथम पायदान पर रख कर ही समस्त बातचीत होती हैं ।प्रकृति प्रदत इस शरीर की समस्त प्रक्रियायें,बीमारियां सभी में समान रूप से ही होती हैं और बीमारियों के अलावा बहुत सी समस्याएं ऐसी होती है जो वास्तव […]
पितृसत्तात्मक मानसिकता: पुरुष और स्त्री के संबंधों में चुनौती
सीमा की कलम से ✒️वर्तमान समय में जहां स्त्री और पुरुष समान रूप से शिक्षित, विकसित और सक्षम होने की दिशा में बढ़ रहे हैं और घर, परिवार, समाज, और देश की प्रगति में बराबर का योगदान दे रहे हैं, वहीं घर और समाज एक ऐसा स्थान है जहां पुरुष आज भी पितृसत्तात्मक मानसिकता को […]