राजस्थान में नवंबर माह में बूंदी जिले में एक 50 वर्षीय महिला की पेट दर्द की बीमारी का इलाज झाड़ फूंक जादू टोना करने वाले ढोंगी व्यक्ति से करवाने और फिर इलाज के नाम पर महिला के मुंह पर कालिख लगा कर, पेड़ से बांधना और उसे डायन बता कर बेरहमी से पीटने और दागने […]
महिलाओं से कार्यस्थल पर भी जरूरी है सम्मान एवं सुरक्षा युक्त व्यवहार
कार्यस्थल पर यौन शौषण (निवारण, निषेध ,प्रतितोष) अधिनियम 2013 के लागू हुए आज दस वर्ष से अधिक समय होने के उपरांत भी आज तक इस कानून की जानकारी सभी महिलाओं को नहीं है।इसमें बनाई गई आंतरिक परिवाद समिति, स्थानीय परिवाद समितियों तक पीड़ित महिलाओं की पहुंच नहीं है और न ही कार्यस्थल के नियोक्ता, नियोजक […]
धार्मिक आलोचना या व्यंग करना अंबेडकरवाद नही है
अक्सर देखा, सुना और पढ़ा जाता है की दलित समुदाय बाबा साहेब के नाम पर दूसरे धर्म ,संप्रदाय ,जाति या वर्ग विशेष की दिन रात आलोचनाएं करता रहता है और उनकी आस्था ,विश्वास को ठेस पहुंचाता रहता है और समाज में कटुता फैलाता है। संविधान में बाबा साहेब ने अन्य सभी अधिकारो के साथ साथ […]
हाथरस की घटना: अंधविश्वास, पाखंड, और महिलाओं पर बोझ
परंपरा और अंधविश्वास का बोझ महिलाएं स्वयं परंपराओं और अंधविश्वास का भारी बोझ उठाती हैं। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। अंधविश्वास और पाखंड महिलाओं के जीवन में कितनी गहराई से जड़ें जमा चुके हैं, इस पर विचार करना आवश्यक है। धार्मिकता और महिलाओं की भूमिका महिलाएं अपने परिवार […]
पितृसत्तात्मक मानसिकता: पुरुष और स्त्री के संबंधों में चुनौती
सीमा की कलम से ✒️वर्तमान समय में जहां स्त्री और पुरुष समान रूप से शिक्षित, विकसित और सक्षम होने की दिशा में बढ़ रहे हैं और घर, परिवार, समाज, और देश की प्रगति में बराबर का योगदान दे रहे हैं, वहीं घर और समाज एक ऐसा स्थान है जहां पुरुष आज भी पितृसत्तात्मक मानसिकता को […]
आरक्षण और क्रीमी लेयर: समानता की दिशा में एक पुनर्विचार
समाज में असमानता की स्थिति यह में काफी पूर्व लिख चुकी थी की अब समय आ गया है जो एससी एसटी की जो जातियां विकास में पीछे रह गई हैं, वंचित और पिछड़ी रह गई हैं, उन्हें भी आगे लाया जाए ताकि बाबा साहेब का समानता और सुरक्षा का सिद्धांत नीचे के पिछड़े वंचितों को […]